नई दिल्ली, 4 सितंबर 2025 : जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक 3 और 4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्...
नई दिल्ली, 4 सितंबर 2025: जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक 3 और 4 सितंबर 2025 को नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस ऐतिहासिक बैठक में टैक्स ढांचे को सरल बनाने के लिए बड़े फैसले लिए गए, जिसमें 12% और 28% स्लैब को खत्म कर केवल 5% और 18% स्लैब रखने का निर्णय शामिल है। इसके अतिरिक्त, कुछ लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं के लिए 40% का नया स्लैब प्रस्तावित किया गया। यह बदलाव 22 सितंबर 2025 से लागू होंगे।
जीएसटी दरों के दायरे में वस्तुएं और सेवाएं
नीचे 0% से 40% जीएसटी स्लैब के तहत आने वाली प्रमुख वस्तुओं और सेवाओं की सूची दी गई है:
0% जीएसटी (कर मुक्त)
खाद्य पदार्थ: सभी प्रकार की ब्रेड (पराठा, परोट्टा, रोटी, खाखरा, पिज्जा ब्रेड), दूध, दही, लस्सी, शहद, ताजा फल और सब्जियां, आटा, बेसन, ताजा मांस, मछली, चिकन, अंडा, प्रसाद, नमक।
स्वास्थ्य सेवाएं: 5 लाख रुपये तक की हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, 36 कैंसर रोधी दवाएं, 33 जीवन रक्षक दवाएं।
अन्य: बिंदी, सिंदूर, स्टांप, न्यायिक दस्तावेज, छपी पुस्तकें, समाचार पत्र, चूड़ियां, हैंडलूम।
5% जीएसटी
कपड़े और फुटवियर: 2500 रुपये तक के कपड़े और फुटवियर।
रोजमर्रा की वस्तुएं: हेयर ऑयल, शैम्पू, टूथपेस्ट, साबुन, टॉयलेट सोप, दांतों के ब्रश, शेविंग क्रीम, मक्खन, घी, चीज, पैक्ड नमकीन, भुजिया, मिश्रित स्नैक्स, बच्चों की फीडिंग बोतल, नैपकिन, क्लिनिकल डायपर, पास्ता, कॉफी, नूडल्स, बादाम, जैम, अचार, मुरब्बा, चटनी।
कृषि से जुड़ी वस्तुएं: ट्रैक्टर, ट्रैक्टर के टायर और पार्ट्स, बायोपेस्टिसाइड्स, माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स, ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, स्प्रिंकलर, मृदा तैयारी और फसल कटाई की मशीनें।
अन्य: संगमरमर, ग्रेनाइट ब्लॉक, रिन्यूएबल एनर्जी उपकरण।
18% जीएसटी
ऑटोमोबाइल: छोटी कारें (1200 सीसी से कम पेट्रोल, 1500 सीसी से कम डीजल), मोटरसाइकिल, वाहनों के कलपुर्जे।
इलेक्ट्रॉनिक्स: टीवी, एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, लेड-एसिड बैटरी।
निर्माण सामग्री: सीमेंट।
अन्य: अधिकांश स्टैंडर्ड वस्तुएं और सेवाएं जो पहले 12% और 28% स्लैब में थीं।
40% जीएसटी (स्पेशल स्लैब)
लग्जरी और हानिकारक वस्तुएं: पान मसाला, सिगरेट, गुटखा, बिना प्रसंस्कृत तंबाकू, बीड़ी, फ्लेवर्ड कार्बोनेटेड पेय, फास्ट फूड।
बड़ी कारें: 1200 सीसी से अधिक की पेट्रोल कारें, 1500 सीसी से अधिक की डीजल कारें, लग्जरी कारें।
अन्य: ऑनलाइन गेमिंग, शराब।
कांग्रेस और भाजपा सरकार के फायदे-नुकसान का विश्लेषण
कांग्रेस सरकार (2004-2014) के दौरान जीएसटी
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने जीएसटी की अवधारणा को पेश किया और इसे लागू करने की दिशा में शुरुआती कदम उठाए।
फायदे:
प्रारंभिक ढांचा: यूपीए सरकार ने 2006 में जीएसटी का प्रस्ताव रखा और 2011 में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया, जिसने जीएसटी काउंसिल के गठन का मार्ग प्रशस्त किया।
आर्थिक एकीकरण: जीएसटी को एकीकृत कर प्रणाली के रूप में प्रस्तावित किया गया, जिसका उद्देश्य कई अप्रत्यक्ष करों (वैट, सर्विस टैक्स, एक्साइज) को हटाकर व्यापार को सरल बनाना था।
राज्यों के साथ सहमति: यूपीए ने राज्यों के साथ बातचीत शुरू की, जिसने जीएसटी के लिए आधार तैयार किया।
नुकसान:
देरी: जीएसटी को लागू करने में देरी हुई क्योंकि राज्यों और केंद्र के बीच राजस्व बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाई।
राजनीतिक विरोध: विपक्षी दलों, विशेष रूप से बीजेपी शासित राज्यों, ने जीएसटी के प्रारूप का विरोध किया, जिससे प्रक्रिया धीमी हो गई।
जटिल प्रणाली: यूपीए के दौरान प्रस्तावित जीएसटी ढांचा जटिल था, जिसमें कई दरें और छूट शामिल थीं, जिससे इसे लागू करना मुश्किल था।
तर्क: कांग्रेस ने जीएसटी की नींव रखी, लेकिन राजनीतिक असहमति और जटिल प्रणाली के कारण इसे लागू नहीं कर पाई। यह एक महत्वपूर्ण सुधार था, लेकिन कार्यान्वयन में कमी रही।
भाजपा सरकार (2014-वर्तमान) के दौरान जीएसटी
बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 2017 में जीएसटी लागू किया और 2025 में 56वीं बैठक में इसके ढांचे को और सरल बनाया।
फायदे:
सरल टैक्स ढांचा: 56वीं बैठक में 12% और 28% स्लैब को हटाकर केवल 5% और 18% स्लैब रखे गए, जिससे टैक्स प्रणाली पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल हुई।
आम जनता को राहत: रोजमर्रा की वस्तुओं (जैसे ब्रेड, शैम्पू, घी) और स्वास्थ्य सेवाओं पर जीएसटी 0% या 5% कर दिया गया, जिससे मध्यम वर्ग और गरीबों को लाभ होगा।
आर्थिक विकास: टैक्स दरों में कटौती से उपभोग बढ़ेगा, जिससे लंबे समय में राजस्व की भरपाई होगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
व्यापारियों को सुविधा: जीएसटी रजिस्ट्रेशन अब 3 दिन में हो सकता है, और 40 लाख रुपये से कम टर्नओवर वाले व्यापारियों को छूट दी गई है।
नुकसान:
राजस्व पर प्रभाव: विपक्षी और कुछ बीजेपी शासित राज्यों ने टैक्स कटौती से राजस्व नुकसान की चिंता जताई है। राज्यों ने मुआवजा योजना की मांग की है।
लग्जरी वस्तुओं पर भारी टैक्स: 40% स्लैब में पान मसाला, तंबाकू, और बड़ी कारों पर भारी टैक्स से इन उद्योगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
देरी की आलोचना: पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने जीएसटी सुधारों को 8 साल देर से लागू करने की आलोचना की, क्योंकि यह विचार यूपीए के समय से था।
तर्क: बीजेपी सरकार ने जीएसटी को न केवल लागू किया, बल्कि 2025 में इसे और सरल बनाकर आम जनता और व्यापारियों को राहत दी। हालांकि, राजस्व नुकसान और कुछ उद्योगों पर भारी टैक्स की चुनौतियां बनी रहेंगी।
समाचार विश्लेषण
56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस 2025 पर घोषित "दिवाली तोहफा" के रूप में देखा जा रहा है। इस सुधार से रोजमर्रा की वस्तुएं सस्ती होंगी, जिससे उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों को लाभ होगा। उदाहरण के लिए, सीमेंट और छोटी कारों पर टैक्स 28% से घटकर 18% हो गया, जिससे निर्माण और ऑटोमोबाइल सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।
हालांकि, विपक्षी दलों ने राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए स्पष्ट मुआवजा योजना की मांग की है। विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्स कटौती से खपत बढ़ेगी, लेकिन केंद्र और राज्यों को राजस्व प्रबंधन में सावधानी बरतनी होगी। इसके अलावा, 40% स्लैब में शामिल वस्तुओं (जैसे पान मसाला और लग्जरी कारें) पर भारी टैक्स से इन उद्योगों की मांग प्रभावित हो सकती है।
निष्कर्ष
जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक ने टैक्स ढांचे को सरल और उपभोक्ता-अनुकूल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह सुधार आम जनता, मध्यम वर्ग, और छोटे व्यापारियों के लिए फायदेमंद होगा, लेकिन राजस्व नुकसान और कुछ उद्योगों पर प्रभाव को लेकर सतर्कता बरतनी होगी। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने जीएसटी के विकास में योगदान दिया, लेकिन वर्तमान सुधारों ने बीजेपी सरकार की प्राथमिकता को आर्थिक राहत और सरलीकरण पर केंद्रित किया है।
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