लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश : भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में लखीमपुर खीरी जिले में एक बड़ी सफलता हासिल हुई है। सशस...
घटना का विवरण
लखीमपुर खीरी जिले में भारत-नेपाल सीमा के पास सशस्त्र सीमा बल की 49वीं बटालियन ने गुप्त सूचना के आधार पर एक विशेष अभियान चलाया। यह अभियान नेपाल से भारत में अवैध रूप से कृत्रिम अंगों की तस्करी को रोकने के लिए था। सूचना मिली थी कि एक तस्करी गिरोह नेपाल के रास्ते भारत में कृत्रिम अंगों की बड़ी खेप लाने की योजना बना रहा है। इस सूचना के आधार पर, SSB और स्थानीय पुलिस ने संयुक्त रूप से खीरी के पलिया क्षेत्र में एक नाकाबंदी की।
नाकाबंदी के दौरान, एक संदिग्ध वाहन को रोका गया, जिसमें लगभग 20,000 कृत्रिम अंग पाए गए, जिनकी अनुमानित कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 2 करोड़ रुपये आंकी गई है। इन कृत्रिम अंगों में कृत्रिम हाथ, पैर और अन्य प्रोस्थेटिक उपकरण शामिल थे, जो उच्च गुणवत्ता के थे और संभवतः अवैध चिकित्सा व्यापार या कालाबाजारी के लिए लाए जा रहे थे। वाहन में सवार चार तस्करों में से दो को मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया, जिनके नाम मोहम्मद राशिद (32) और सुरेंद्र यादव (28) बताए गए हैं। हालांकि, दो अन्य तस्कर घने जंगल और सीमावर्ती क्षेत्र का फायदा उठाकर फरार हो गए।
कानूनी पहलू
इस तस्करी के मामले में कई कानूनी प्रावधान लागू होते हैं। भारत में कृत्रिम अंगों की तस्करी को गंभीर अपराध माना जाता है, क्योंकि यह न केवल अवैध व्यापार को बढ़ावा देता है, बल्कि चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता और सुरक्षा से भी समझौता करता है। इस मामले में निम्नलिखित कानूनों के तहत कार्रवाई की जा रही है:
- कस्टम्स एक्ट, 1962: सीमा पार से अवैध रूप से माल लाने या ले जाने को कस्टम्स एक्ट की धारा 135 के तहत अपराध माना जाता है। इस मामले में, कृत्रिम अंगों को बिना उचित दस्तावेजों या सीमा शुल्क के भारत में लाया गया, जो इस कानून का उल्लंघन है। दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
- ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940: कृत्रिम अंग चिकित्सा उपकरणों की श्रेणी में आते हैं, और उनकी गुणवत्ता, आयात और वितरण को यह कानून नियंत्रित करता है। बिना लाइसेंस के ऐसे उपकरणों का आयात गैरकानूनी है और इसके लिए 3 से 7 साल की सजा का प्रावधान है।
- भारतीय दंड संहिता (IPC): तस्करी के इस मामले में धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 467 (जालसाजी), और धारा 120B (आपराधिक साजिश) के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
- फॉरेन ट्रेड (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट, 1992: यह कानून अवैध आयात-निर्यात पर नियंत्रण रखता है। इस मामले में तस्करों ने इस कानून का उल्लंघन किया है।
पुलिस ने दोनों गिरफ्तार तस्करों के खिलाफ इन कानूनों के तहत मामला दर्ज किया है और फरार तस्करों की तलाश के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं।
पिछली घटनाओं और आंकड़े
भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी कोई नई बात नहीं है। खीरी, बहराइच, महराजगंज और अन्य सीमावर्ती जिलों में तस्करी का लंबा इतिहास रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत-नेपाल सीमा पर प्रतिवर्ष लगभग 5,000 करोड़ रुपये की तस्करी होती है, जिसमें सोना, नशीले पदार्थ, नकली मुद्रा, और अब चिकित्सा उपकरण जैसे कृत्रिम अंग शामिल हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, खीरी जिले में तस्करी की कई बड़ी घटनाएं सामने आई हैं:
- 2023: खीरी के पलिया क्षेत्र में 1.5 करोड़ रुपये की नकली भारतीय मुद्रा जब्त की गई थी, जिसमें 5 तस्कर गिरफ्तार हुए थे।
- 2022: नेपाल से 50 किलोग्राम गांजे की तस्करी का मामला सामने आया था, जिसमें 3 लोग गिरफ्तार हुए थे।
- 2021: खीरी में अवैध हथियारों की तस्करी के एक मामले में 2 तस्कर पकड़े गए थे।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि खीरी जिला तस्करी का एक प्रमुख केंद्र है। भारत-नेपाल की खुली सीमा और घने जंगल इस क्षेत्र को तस्करों के लिए अनुकूल बनाते हैं। SSB के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में भारत-नेपाल सीमा पर 150 से अधिक तस्करी के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 30% मामले चिकित्सा उपकरणों और दवाओं से संबंधित थे।
जिला अधिकारियों की भूमिका
लखीमपुर खीरी के जिला प्रशासन और सुरक्षा बलों ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की। जिला मजिस्ट्रेट (DM) अरविंद सिंह ने इस ऑपरेशन की सराहना करते हुए कहा कि तस्करी के खिलाफ जिला प्रशासन की जीरो टॉलरेंस नीति है। उन्होंने SSB और पुलिस को और सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।
SSB की 49वीं बटालियन के कमांडेंट राजेश कुमार ने बताया कि यह ऑपरेशन गुप्त सूचना और स्थानीय पुलिस के सहयोग से संभव हुआ। उन्होंने कहा, "हमारी टीमें 24 घंटे सीमा पर निगरानी रखती हैं। इस मामले में हमें खास सूचना मिली थी, जिसके आधार पर हमने नाकाबंदी की और तस्करों को पकड़ा।"
पलिया थाने के SHO राकेश कुमार ने मामले की जांच को तेज करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि फरार तस्करों की तलाश के लिए नेपाल पुलिस के साथ भी समन्वय किया जा रहा है। स्थानीय पुलिस ने सीमावर्ती गांवों में जागरूकता अभियान शुरू किया है ताकि ग्रामीण तस्करी के खिलाफ सहयोग करें।
असली सरगना: विश्लेषण
इस तस्करी के पीछे असली सरगना कौन है, यह अभी जांच का विषय है। प्रारंभिक पूछताछ में गिरफ्तार तस्करों ने खुलासा किया कि वे एक बड़े अंतरराष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क का हिस्सा हैं, जो नेपाल, भारत और बांग्लादेश तक फैला हुआ है। सूत्रों के अनुसार, इस नेटवर्क का संचालन नेपाल के काठमांडू और भारत के कुछ प्रमुख शहरों से हो रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि कृत्रिम अंगों की तस्करी का यह मामला केवल आर्थिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि अवैध चिकित्सा व्यापार और कालाबाजारी से भी जुड़ा हो सकता है। कृत्रिम अंगों की मांग भारत और नेपाल दोनों में बढ़ रही है, और तस्कर इसका फायदा उठा रहे हैं। संभवतः असली सरगना कोई बड़ा मेडिकल सप्लाई डीलर या अंतरराष्ट्रीय तस्कर हो सकता है, जो स्थानीय तस्करों को किराए पर रखता है।
पुलիս सूत्रों के अनुसार, इस मामले में नेपाल के कुछ बड़े व्यापारियों और भारत के मेडिकल सप्लाई चेन से जुड़े लोगों की संलिप्तता की जांच की जा रही है। यह भी संभावना है कि तस्करी का यह नेटवर्क नकली कृत्रिम अंगों को बाजार में बेचकर मरीजों की जान जोखिम में डाल रहा हो।
निष्कर्ष
भारत-नेपाल सीमा पर खीरी जिले में 2 करोड़ रुपये के कृत्रिम अंगों की जब्ती एक गंभीर मुद्दा है, जो सीमा सुरक्षा और अवैध व्यापार की चुनौतियों को उजागर करता है। जिला प्रशासन और SSB की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन फरार तस्करों की गिरफ्तारी और असली सरगना तक पहुंचना अभी बाकी है। यह घटना भारत-नेपाल सीमा पर तस्करी रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता को दर्शाती है। साथ ही, यह चिकित्सा उपकरणों के आयात और वितरण में पारदर्शिता और नियमन की जरूरत को भी रेखांकित करता है।
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